१- लगन - जनम के समय उदय होने वाली राशी जातक का प्रतिनिधित्व करती है. यह भाव व्यक्ति के व्यक्तित्व और प्रवृत्ति के बारे में पूर्ण ज्ञान देता है.
२- द्वितीय भाव - इस भाव को कुटुंब भाव भी कहते है.इससे पैत्रिक संपत्ति का भी ज्ञान होता है.
३- तृतीय भाव - धनोपार्जन के लिए व्यक्ति को स्वयं प्रयत्न करना पड़ता है. यह जातक के पराक्रम के विषय में ज्ञान देता है. इससे साहस, वाणी, छोटे भाई बहिन और प्राथमिक विद्या का भी पता चलता है.
४- चतुर्थ भाव - यह माता पिता , धन संपत्ति, वाहन आदि का प्रतिनिधित्व करता है
५- पंचम भाव - शिक्षा, संतान और संबंधो की जानकारी मिलती है.
६- षष्ठ भाव - यह रोग , शत्रु अधीनस्थ कर्मचारी और कर्ज के विषय में ज्ञान देता है
७- सप्तम भाव- जीवन साथी , साझेदारी में कार्य, विदेश यात्रा और व्यापर का अनुमान देता है.
८- अष्टम भाव - पैत्रिक संपत्ति, आयु , जीवन में होने वाले नुकसान और अन्य दुर्घटनाओ के बारे में सचेत करता है.
९- नवं भाव- इसे धर्म और भाग्य भाव भी कहते है.
१०- दशम भाव - यह कर्म भाव के नाम से भी जाना जाता है. व्यक्ति के व्यवसाय विशेष का निर्धारण इसी भाव से किया जाता है .
११- एकादश भाव - सभी तरह के लाभों का ज्ञान इस भाव से किया जाता है.
१२- द्वादश भाव- इसको व्यय भाव भी कहते है. इससे व्यक्ति के अंतिम पलों का भी ज्ञान होता है इसलिए इसे मोक्ष स्थान भी कहते है.
अपनी कुंडली के विश्लेषण के लिए अपनी जन्म तिथि , जनम समय और जन्म स्थान की जानकारी यहाँ दे -
http://www.bagulamukhijyotishtantra.com/
२- द्वितीय भाव - इस भाव को कुटुंब भाव भी कहते है.इससे पैत्रिक संपत्ति का भी ज्ञान होता है.
३- तृतीय भाव - धनोपार्जन के लिए व्यक्ति को स्वयं प्रयत्न करना पड़ता है. यह जातक के पराक्रम के विषय में ज्ञान देता है. इससे साहस, वाणी, छोटे भाई बहिन और प्राथमिक विद्या का भी पता चलता है.
४- चतुर्थ भाव - यह माता पिता , धन संपत्ति, वाहन आदि का प्रतिनिधित्व करता है
५- पंचम भाव - शिक्षा, संतान और संबंधो की जानकारी मिलती है.
६- षष्ठ भाव - यह रोग , शत्रु अधीनस्थ कर्मचारी और कर्ज के विषय में ज्ञान देता है
७- सप्तम भाव- जीवन साथी , साझेदारी में कार्य, विदेश यात्रा और व्यापर का अनुमान देता है.
८- अष्टम भाव - पैत्रिक संपत्ति, आयु , जीवन में होने वाले नुकसान और अन्य दुर्घटनाओ के बारे में सचेत करता है.
९- नवं भाव- इसे धर्म और भाग्य भाव भी कहते है.
१०- दशम भाव - यह कर्म भाव के नाम से भी जाना जाता है. व्यक्ति के व्यवसाय विशेष का निर्धारण इसी भाव से किया जाता है .
११- एकादश भाव - सभी तरह के लाभों का ज्ञान इस भाव से किया जाता है.
१२- द्वादश भाव- इसको व्यय भाव भी कहते है. इससे व्यक्ति के अंतिम पलों का भी ज्ञान होता है इसलिए इसे मोक्ष स्थान भी कहते है.
अपनी कुंडली के विश्लेषण के लिए अपनी जन्म तिथि , जनम समय और जन्म स्थान की जानकारी यहाँ दे -
http://www.bagulamukhijyotishtantra.com/