श्री महालक्ष्मी पूजन (दीपावली)

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दीपावली -  १३ नवम्बर, मंगलवार, २०१२ ई.

      श्री महालक्ष्मी पूजन एवं दीपावली का महापर्व कारतीक कृष्ण अमावस में प्रदोष काल एवं अर्द्धरात्री व्यापिनी हो, तो विशेष रूप से शुभ होती है!
                कार्तिकस्यसिते पक्षे लक्ष्मीर्नीदा विमुन्चित !
                स च दीपावली प्रोक्ता: सर्व्कल्यान्रूपिनी- ज्योतिर्निबंध  
                कार्तिके प्रदोषे तु विशेषन अमावस्या निशावार्ध्के 
                तस्यां संपूजयेत देवीं भोगामोक्ष प्रयिनीम !!भविष्य पु.
      प्रस्तुत वर्ष १३ नवम्बर २०१२ ई., मंगलवार को दीपावली स्वाति / विशाखा नक्षत्र, सौभाग्य योग कालीन प्रदोष एवं अर्द्धरात्रि  व्यापिनी अमावस्या युक्त होने से विशेषत: प्रशस्त एवं श्लाध्य रहेगी! मंगलवार की दीवाली मन्त्र- जाप सिद्धि एवं तांत्रिक प्रोयोगों के लिए विशेष रूप से ग्राह मानी जाती है! दीपावली में अमावस, तिथि , प्रदोषकाल, निशिथ्काल एवं महानिशीथ काल विशेष महत्पूर्ण माने जाते है!

     * प्रदोष काल- १३ नवम्बर को जालन्धर एवं निकटवर्ती नगरों में सूर्यास्त(१७घ. २८मी.) से लेकर २घ. ४२मि. पर्यंत (२०घ. १०मि.) प्रदोषकाल रहेगा! (प्रतेक नगर के रात्रिमान के अनुसार इसका समय निर्धारण करे!
      सायं १७घ. ०२मि. से १९घ. ३०मि. तक वर्ष ( स्थिर) लग्न भी विशेषत: प्रशस्त होगा! प्रदोष काल में वर्ष लग्न, विशाखा नक्षत्र, तुला के सूर्य- चंद्र में होने से अत्यंत शुभकाल रहेगा!
     आगे १९घ. ०२मि. से २०घ. ३६मि. तक 'लाभ' चौघडिया  भी रह्ने से इस योग में दीपदान, श्री महालक्ष्मी पूजन, कुबेर- पूजन, बही- खता पूजन, धर्म एवं गृह -स्थलों पर दीप प्रज्वलित करना, ब्राह्मणों तथा अपने आश्रितों को भेंट, मिष्ठान आदि बाँटना शुभ होगा!

     * निशीथ काल- १३ नवम्बर  , मंगलवार को जालन्धर में निशीथ काल  २०घ. १०मि. से २२घ. ५२मि. तक रहेगा . ध्यान दें , १९घ. ३०मि. से २१घ. ४४मि. तक मिथुन लग्न, तदुपरांत २४घ. ०७मि. तक कर्क लग्न विशेष प्रशस्त रहेगा!
      २२घ. २०मि. से २३घ. ४४मि. तक 'शुभ' की चौघडिया  रहेंगी! अतएव जिन्होंने प्रदोष एवं वर्ष लग्न में पूजन प्रारंभ न किया हो, उनके लिए 'शुभ' चौघडिया  तथा निशीथ काल की संयोग भी अत्यंत शुभ रहेगा! इस अव्धुई में श्रीसूक्त, कनकधारा स्त्रोत तथा अन्य मंत्रो का जाप अनुष्ठान  करना चाहिए!

     * महानिशीथ काल- रात्रि  २२घ. ५२मि. से २५घ. ३४ मी. तक महानिशीथ काल  रहेगा! इस समयावधि में २१घ. ४४मि. से २४घ. ०७मि. तक कर्क, तदुपरांत २६घ. २७मि. तक सिंह लग्न(दोनों) विशेष रूप से प्रशस्त होंगे! ध्यान दें, २३घ. से ४४मि से २५घ. से १८मि. तक अमृत  की चौघडिया  भी अत्यंत शुभ रहेगी! महानिशीथ काल में श्रीलक्ष्मी, महाशक्ति काली की उपासना, यन्त्र- मंत्र तंत्रादी क्रियाएं व् यज्ञादि किये जाते है!

पूजा विधि   - 

पूजन हेतु श्री  लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्ति, शिवलिंग , श्री यन्त्र

पूजन सामग्री - कलावा , १ नारियल , १ नारियल गरी  , कच्चे चावल , लाल कपडा , फूल , १५ सुपारी , लौंग , १३  पान के पत्ते , घी , ५- ७ आम के पत्ते , कलश, चौकी , समिधा , हवन कुण्ड, हवन सामग्री , कमल गट्टे, पंचामृत ( दूध, दही , घी , शहद , गंगाजल ), फल , मेवे , मिठाई ,पूजा में बैठने हेतु आसन, आटा, हल्दी , अगरबत्ती , कुमकुम , इत्र, १ बड़ा दीपक , रूई

१. पूजा करने के लिए उत्तर अथवा पूर्व दिशा में मुख होना चाहिए.  पूजा की जगह को अच्छे से साफ़ करे . द्वार प़र रंगोली बनाये .
पूजन करने की जगह प़र आटे और रोली  से अष्टदल कमल और स्वस्तिक बनाये. उसके ऊपर  चौकी रखकर लाल कपडा बिछाएं. कलश में जल भर कर उसमे गंगाजल, थोड़े से चावल और सिक्का डाले . चौकी के दायीं तरफ चावल के ऊपर इस कलश की स्थापना करें. आम के ५ अथवा ७ पत्ते रखें . नारियल प़र तीन चक्र कलावा बांधकर कलश के ऊपर स्थापित करें.

२. चतुर्मुखी दीपक जलाएं . यह दीपक सम्पूर्ण दीवाली की रात्रि जलना चाहिए . अगरबत्ती जलाये . कलश और दीपक प़र हल्दी , कुमकुम और फूल चढ़ाएं .

३- श्री गणेश , देवी लक्ष्मी, शिवलिंग  और श्री यन्त्र  की चौकी प़र पूरे मनोयोग से स्थापना करे.

४ - सर्वप्रथम अपने गुरु का ध्यान करे. तत्पश्चात  पूजन आरम्भ करें .  एक दूसरे को तिलक लगा कर कलावा बांधे. स्त्रियाँ अपने बाये हाथ एवं पुरुष अपने दायें हाथ प़र बांधें .

५ - गणेश जी का ध्यान  और आह्वाहन  करे. इसके उपरांत उन्हें चावल ,पान , सुपारी , लौंग , फूल  कलावा रुपी वस्त्र , धूप फल और भोग समर्पित करे . नवग्रह  ( सूर्य , चन्द्र , मंगल , बुध , गुरु , शुक्र , शनि , राहू, केतु ), कुबेर  देवता , स्थान  देवता  और  वास्तु  देवता  का क्रम से आह्वाहन कर सभी का पूजन व सम्मान पान, चावल, सुपारी, लौंग, कलावा, फूल , फल धूप  और भोग समर्पित कर करे  .

६ - अब मन को पूरी तरह एकाग्र कर के भगवान शंकर तत्पश्चात भगवती देवी लक्ष्मी का आह्वाहन और पंचामृत से स्नान कराने उपरोक्त बताई हुई विधि के अनुसार पूजन और स्थापना करे . भगवान् शंकर का पूजन इस मंत्र के साथ करें

“ ॐ  त्र्यम्बकं  यजामहे सुगंधिम  पुष्टि -वर्धनम
उर्वारुकमिव  बन्धनात मृत्योर  मुक्षीय  मामृतात "

७ - “ ॐ  महा लक्ष्मये नमः ” मंत्र का जाप अथवा श्री सूक्त का जाप करे

८  - अंत में हवन करे . हवन सामग्री में घी मिला ले . हवन कुण्ड की पूजा करे और क्रमवार सभी देवताओ के नाम का हवन करे जिन्हें अपने आमंत्रित किया है . लक्ष्मी जी के मंत्र से  हवन करते समय कमलगट्टे के बीज हवन सामग्री में मिला ले और १०८ बार मंत्र का उच्चारण करते हुए हवन करे .

९ -  पूर्णाहुति के लिए नारियल गरी को काट कर उसमे बची हुई हवन सामग्री पूरी भर ले और परिवार के सभी सदस्य अपना हाथ लगाकर अंतिम आहुति दे .

१०- लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करे .

श्री  गणेश  आरती

जय  गणेश  जय  गणेश , जय  गणेश  देवा
माता  जाकी  पारवती , पिता  महादेवा .
एक  दन्त  दयावंत , चार  भुजा  धारी
माथे  सिंदूर  सोहे , मुसे  की  सवारी , जय
गणेश ...
अंधन  को  आंख  देत , कोढ़िन को  काया
बंझंन को  पुत्र  देत , निर्धन  को  माया , जय
गणेश ...
पान चढ़े , फूल  चढ़े , और  चढ़े  मेवा
लड्डू  का  भोग  लगे , संत  करे  सेवा , जय
गणेश ....
जय  गणेश , जय  गणेश , जय  गणेश  देवा ,
माता  जाकी  पारवती  , पिता  महादेवा

 श्री महालक्ष्मी  आरती

ॐ  जय  लक्ष्मी  माता , मैया  जय लक्ष्मी  माता ,
तुमको  निस  दिन  सेवत , हरी , विष्णु  धाता
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता
उमा  रमा ब्रह्मानी , तुम  हो  जग  माता ,
मैया , तुम  हो  जग  माता ,
सूर्य  चंद्रमा  ध्यावत , नारद  ऋषि  गाता .
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता .
दुर्गा  रूप  निरंजनी , सुख  सम्पति  दाता,
मैया  सुख  सम्पति  दाता
जो  कोई  तुमको  ध्याता , रिद्धी सिद्धी  धन  पाता
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता .
जिस  घर  में  तुम  रहती , सब   सदगुण आता ,
मैया  सब  सुख  है  आता ,
ताप  पाप  मिट  जाता , मन  नहीं  घबराता .
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता
धुप  दीप  फल  मेवा , माँ  स्वीकार  करो ,
ज्ञान  प्रकाश  करो  माँ , मोह अज्ञान  हरो .
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता .
महा  लक्ष्मी जी  की  आरती , निस  दिन  जो  गावे
मैया  निस  दिन  जो  गावे ,
दुःख  जावे , सुख  आवे , अति  आनंद   पावे .
ॐ  जय  लक्ष्मी  माता .

११ - श्रद्धा और भक्ति के साथ नमन करते हुए प्रार्थना करे के माता रानी आपके घर में प्रसन्नता के साथ सदा निवास करे .

१२ - दीपावली के अगले दिन ही पूजा का सामान हटाये और बहते पानी में विसर्जित करें .

                                सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये

                                                       " महामाई सर्वदा कल्याण करे"
                                                             राजगुरु राजकुमार शर्मा

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  दिल्ली -110044.

1 Comments

  1. Quite a brief and very good , covering all aspects of diwali puja description. Good Job

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